हिंदी अलंकार गीत
अलंकार गीत
तर्ज- आओ बच्चों तुम्हें दिखाएं झांकी
हिंदुस्तान की
आओ बच्चों तुम्हें सिखाऊं, बात व्याकरण ज्ञान
की,
ध्यान दियो और मनन करो, यह बात तुम्हारे काम की,
करोगे पालन तुम, रहोगे खुश हरदम-2
काव्य की सुंदरता को हम अलंकार ही कहते हैं,
शब्दों के माध्यम से हो उसे शब्दालंकार कहते हैं,
हो अर्थों के माध्यम से उसे, अर्थालंकार
कहते हैं,
गर दोनों का मेल हुआ, उसे उभया अलंकार कहते
हैं,
अभी तो हमने बात करी है
इसके बेसिक ज्ञान की,
ध्यान दियो और मनन करो, यह बात तुम्हारे काम की,
करोगे पालन तुम, रहोगे खुश हरदम-2
वर्णों की आवृत्ति हो तो, अनुप्रास कहलाएगा,
शब्दों की आवृत्ति हो तब, यमक यही कहलाएगा,
लेकिन इसकी शर्त यही की, अर्थ अलग हो जाएगा,
अगर अर्थ सम हो शब्दों का, पुनरुक्ति कहलायेगा,
एक शब्द के अर्थ दो निकले, ये श्लेश के
पहचान की,
ध्यान दियो और मनन करो, यह बात तुम्हारे काम की,
करोगे पालन तुम, रहोगे खुश हरदम-2
जब तुलना हो सर्व प्रसिद्ध से तो उपमा
कहलाता है,
अभेद समझ आरोप करें तो, वहां रूपक हो जाता
है,
मानो मनहूं या कल्पना हो, उत्प्रेक्षा
कहलाता है,
बढ़ा चढ़ा कर बात करें , वहां अतिशयोक्ति होता है,
अब भी अगर ना समझ सको तो, बात हुई नादान की,
ध्यान दियो और मनन करो, यह बात तुम्हारे काम की,
करोगे पालन तुम, रहोगे खुश हरदम-2
प्रश्न अलंकार होता है तब, प्रश्न उसमें पुछेगा,
बात किसी से असर किसी पर, अन्योक्ति से
पूछेगा,
जड़ वस्तु भी हो चंचल, और मानव जैसे बोलेगा,
ऐसा होता देख ये समझो, मानवीकरण ही होवेगा,
चमन बतावे बात तुम्हें यह, अलंकारों के ज्ञान की
ध्यान दियो और मनन करो, यह बात तुम्हारे काम की,
करोगे पालन तुम, रहोगे खुश हरदम-2
स्वार्थ vsनिस्स्वार्थता आत्मविश्वास का महत्त्व
अनुशासन का महत्त्व भाषण # 15अगस्त / 26 जनवरी
पत्र लेखन प्रारूप parody
स्वार्थ vsनिस्स्वार्थता आत्मविश्वास का महत्त्व
अनुशासन का महत्त्व भाषण # 15अगस्त / 26 जनवरी
पत्र लेखन प्रारूप parody
बहुत ही सराहनीय बलवान जी ..
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