Speech on Independence Day ( स्वतंत्रत्ता दिवस) / Republic Day ( गणतंत्र दिवस )
# Independence Day # 15 August / # Republic
Day (26 January)
इबादत कि तरहं मैं अपना हर काम करता हूँ ,मेरा
उसूल है कि पहले मैं सलाम करता हूँ
सर्वप्रथम हमारी आन
बान और शान के प्रतीक इस तिरंगे को राजेश बालवान का सलाम और अपनी मातृभूमि के लिए
मर मिटने वाले उन हजारों अमर शहीदों को कोटि कोटि प्रणाम Iआज के इस पावन अवसर पर
उपस्थित मुख्य अतिथि महोदया, प्राचार्य महोदय, सरपंच साहब, गाँव के मोजिजान,
मातृशक्ति,युवा शक्ति व भारत का भविष्य प्यारे विद्यार्थियों आप सभी को स्वतंत्रता/ गणतंत्र दिवस कि हार्दिक शुभकामनायें I
हम सब बड़े सौभाग्यशाली हैं कि हम एक
स्वतन्त्र देश में पैदा हुए I हम ऋणी हैं अपने उन पूर्वजों के जिन्होंने अपनी भावी
पीढ़ी कि आजादी के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया Iआप सब एक और मामले में भी
......................
आज समय है उन
देशभक्तों कि कुरबानियो को याद करने का Iजरा याद करो राजगुरु, सुखदेव, भगत सिंह
जैसे शहीदों को जो भरी जवानी में देश कि आजादी के लिए फांसी पर झूल गए I जरा याद
करो लालालाजपतराय को जो साइमन कमीशन का विरोध करते हुए अंग्रेजो कि लाठी डंडे कि
मार से प्राण त्याग दिए I जरा याद करो सुभाष चन्द्र बोस को जिन्होंने अंग्रेजो से
मुकाबला करने के लिए आजाद हिन्द फ़ौज खडी कर दी I जरा याद करो मंगल पांडे, झाँसी कि
रानी लक्ष्मी बाई, नाना साहब, तांत्या टोपे, राव तुलाराम जैसे शहीदों को जिन्होंने
1857 में ही क्रांति कि अलख जगा दी थी I जरा याद करो रास्ट्रपिता महात्मा गाँधी को
जिन्होंने अपना पूरा जीवन देश कि आजादी के लिए समर्पित कर दिया Iजरा याद करो उन
शहीदों को जिन्होंने 1962,65,71,और 99 के
युधों में इस मातृभूमि कि रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए I मैं सलाम
करता हूँ उन नौजवानों को जो आज भी अपनी सरजमीं कि रक्षा करते हुए अपनी शहादत दे
रहे हैं और हम, हम बस उनके जनाजे में शामिल हो कर, दो चार नारे लगाकर या फूल चढाकर
अपने कर्तव्य कि इतिश्री समझ लेते हैं I क्या इसी आजाद भारत कि कल्पना कि थी उन
देशभक्तों ने ? क्या असे हि भारत कि कल्पना कि थी सरदार वल्लभभाई
पटेल ने जब 562 देसी रियासतों को भारत में मिलाया था ? 2 साल 11 महीने 18 दिन के
अथक प्रयास के बाद दुनिया का श्रेष्ठ संविधान देने वाले बाबा साहब आंबेडकर ने क्या
असे हि गणतंत्र कि कल्पना कि थी ?
ये
देखिये भाई भाई के खून का प्यासा है, एक
बाप दाने दाने को मोहताज है, और मां, मां बेटी को कोख में ही मार रही है, एक
ग्याहरवीं कक्षा में पढने वाला बच्चा महज इसलिय एक सात साल के बच्चे का गला काट कर
क़त्ल कर देता है ताकि स्कूल कि छुट्टी हो जाये I एक बारहवीं कक्षा में पढने वाला
बच्चा केवल इस कारन से अपने प्रिंसिपल को गोलियों से भून डालता है कि कहीं वो उसकी
शिकायत उसके मां बाप से न कर देI वाह रे मेरे देशवासियों कहाँ ले जा रहे हैं हम
अपने देश को ?
क्या यह वही देश है जहाँ शक्ति रूपा लक्ष्मी नारी कि पूजा कि जाती
थी,आज वही गृहलक्ष्मी दहेज़ कि आग में जलाई जाती है I
शर्म आती है जब रोज
अख़बारों कि सुर्ख़ियों में देखते हैं कि आजफिर देश के फलां प्रान्त में निर्भया जैसी वारदात हुई I फिर दुष्टों ने एक 5
या 7 साल कि बच्ची का जीवन बर्बाद कर दिया I
पाप के वशीभूत मानव इतना गिरता जाता है, न उसे
बहन नजर आती है न दिखती माता है,
छोटी छोटी बालिकाओं पर भी रहम उसे नहीं आता है,
इसे दुशटो को मारो इनसे हमारा क्या नाता है I
ऐसा
नहीं है सारा देश ही नैतिकता विहिन् हो गया है I ऐसा इसलिए है क्योंकि दुष्ट अपनी
फितरत से बाज नहीं आता और हम सब उनके
दुस्क्रित्यों को आँख मूँद कर के सहन कर ते जा रहे हैI हमें क्या ? जब
हमारे साथ होगा तब देखा जायेगा I इस स्वार्थी मनोवृति के कारन दुष्ट लोगों का
होसला बढ़ता जाता है I
आजादी के 71 वर्षों में हमारे देश ने
बहुत तरक्की भी कि है I विश्व में भारत ने एक विशेष मुकाम हासिल किया है Iलेकिन आज
समय है वास्तविकता से रूबरू होने का ...अपने अंतर्मन में झाँकने का ...मेरा मानना
है कि जब तक हम आर्थिक, सामाजिक और मानसिक
रूप से आजाद नहीं होंगे तब तक राजनैतिक स्वतंत्रता के कोई मायने नहीं हैं Iआज भी
लाखों लोग भूखे पेट सोने को मजबूर हैं, लाखों बच्चे बंधुआ मजदूर का जीवन जीने को मजबूर
हैं I आज हम खुद आगे बढ़ने कि नहीं सोचते बल्कि जो तरक्की कर रहे हैं उनसे दुखी हैं
इस मानसिकता के होते हम कैसे आजाद हो सकते
हैं I इसलिए अगर असली आजादी का आनंद लेना है तो अपने आप को आर्थिक और मानसिक रूप
से भी सुदृढ़ बनना होगा.
केवल बॉर्डर पर जान देने वाला ही सच्चा
देशभक्त है ऐसा नहीं है I हम अपने आस पास होने वाली बुराइयों के खिलाफ आवाज
उठायें, अपना अपना काम ईमानदारी से करें और चुनाव के समय अपने हुकमरानो का चयन सोच
समझ कर करें तो हम भी किसी देशभक्त से कम नहीं होंगे I और इस तरह से हम उन
देशभक्तों के सपनो के भारत को साकार कर पाएँगे I
देश उठेगा अपने पैरों, निज
गौरव के भान से, स्नेह भरा विश्वास जगा कर जीओ सब सम्मान से I
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