Importance of Selflessness (निस्स्वार्थता का महत्व )


स्वार्थ v/s निस्स्वार्थता

आज के इस भौतिक युग में स्वार्थ सर्वोपरि हो गया हैI स्वार्थ के बगैर तो पत्ता तक नहीं हिलताI जब हम अपनी चारों तरफ नजर उठाकर देखते हैं, तो ऐसा लगता है जैसे स्वार्थ के बगैर इस दुनिया में कुछ है ही नहींI इधर देखो ....भाई- भाई के खून का प्यासा हैI उधर बाप बेटे के लिए बोझ हैI मां, मां बेटी को कोख में मार रही हैI इन सब के पीछे स्वार्थ नहीं है तो क्या हैI
 लेकिन मैं आपको बता दूं जब चारों और सघन अंधेरा हो और उसमें रोशनी की एक छोटी सी करण भी दिखाई दे तो इसका बड़ा महत्व हैI जो व्यक्ति बहुत प्यासा हो तो एक एक बूंद पानी का भी बड़ा महत्व होता हैI जो व्यक्ति निराशा में डूबा हो और उसे कोई उम्मीद की जरा-सी भी किरण दिखाई दे, तो वही उसका जीवन बदल सकती हैI
ठीक इसी प्रकार से इस स्वार्थी संसार में अगर एक भी कार्य आप निस्वार्थ भाव से करेंगे, तो आप देखना आपका कितना महत्व बढ़ जाएगाI जब स्वार्थी है, तभी तो निस्वार्थ भाव से काम करने वाले का सम्मान होता हैI इसलिए किसी से उम्मीद किए बिना उसका अच्छा करोI
आज जब सारी दुनिया कोरोना वायरस की आगोश में हैI जरूरत है- निस्वार्थ भाव से काम करने वालों कीI मानवता आज भी जिंदा हैI आज भी लाखों लोग अपनी जान जोखिम में डालकर रात दिन काम कर रहे हैंI चाहे वह डॉक्टर हों, स्वास्थ्य कर्मी हो, सफाई कर्मचारी हो पुलिस हो या अन्य कर्मचारियोंI
 दूसरी तरफ ऐसे स्वार्थी लोगों का चेहरा भी सामने आ रहा हैं, जो इन्हीं डॉक्टरों से, कर्मचारियों से (जो कि उनके यहां किराएदार हैं )को अपना घर खाली करने का दबाव बना रहे हैंI वे यह भूल गए हैं कि आज जिन डॉक्टरों, नर्सों को अछूत समझ कर बाहर निकालने की कोशिश कर रहे हैं I अगर उनके परिवार के किसी सदस्य को यह संक्रमण हो गया तो उन्हीं लोगों की शरण में जाना पड़ेगा इलाज के लिएI
 वक्त का तकाजा है कि- हम सब जाति, धर्म,  राजनीति, इन सबसे ऊपर उठकर एक दूसरे की मदद करेंI संपूर्ण लॉक डाउन के दौरान लाखों करोड़ों लोगों का रोजगार छिन गया हैI आधारभूत जरूरते उनकी भी वही है जो हमारी हैंI संकट कीइस घडी में शारीरिक रूप से दूरी बनाए रखना तो जरूरी है, लेकिन भावनात्मक रूप से दूरी  ना बनाएंI एक दूसरे की मदद करेंI भूखे पेट कोई ना सोएI
 किसी भी देश के नागरिक उसके संसाधन होते हैंI  हम सब हैं, तो देश है, और देश है- तो हमारा अस्तित्व हैI जो नागरिक जिस भी तरीके से सक्षम हैI वह उसी तरीके से सरकारी निर्देशों का पालन करते हुए,  मानवता के धर्म का निर्वाह करते हुए, जरूरतमंदों की मदद करेंI   कहावत भी है कि, जो लोग फूल बेचते हैं- उनके हाथ में खुश्बू अक्सर रह ही जाती है I प्रकृति भी हमें निस्वार्थ भाव से काम करने की प्रेरणा देती हैI किसी ने फूल से पूछा कि- तू खिलता क्यों है? सबको देता है खुशबू तुझे मिलता क्या है? फूल ने मुस्कुरा कर कहा- ऐ बंदे तू अभी नादान हैI जीवन के सच्चे प्यार से अनजान हैI कुछ देकर कुछ लेना तो व्यापार हैI जो देकर भी कुछ ना मांगे वही तो सच्चा प्यार हैI
 अतः आप सभी से विनती है कि इस स्वार्थी संसार में निस्वार्थ भाव से काम करके आम जन को निस्वार्थ भाव के  महत्व से अवगत करवाएंI  संकट की इस घड़ी में सभी देशवासी एक दूसरे का सहयोग करेंI

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