कोरोना का क्या अच्छा है? (अंकल सैम से बातचीत )
कोरोना का क्या अच्छा है?
(अंकल सैम से बातचीत
)
कल शाम
को परिवार के साथ बैठा चाय की चुस्किओं का आनंद ले रहा थाI तभी मोबाइल की घंटी बजी
हमारे एक परिचित का था जो कि 70 वर्ष के एक बुजुर्ग
हैं और शहर में रहते हैंI मैं उन्हें सैम अंकल कह कर बुलाता हूंI वह इसलिए कि वे हमेशा एक
डिटेक्टिव की तरह बातें करते हैंI हर घटना को तार्किक नजरिए से देखते हैंI
फोन उठाते ही उन्होंने कहा- बिटवा ! क्या आपको
मालूम है कि फोन पर बात करने से कोरोना संक्रमण नहीं फैलता ? मैंने कहा- हां अंकल
! यह तो पता हैI तो फिर फोन काहे नहीं करते ?
वो क्या है कि
अंकल, जब से यह लॉकडाउन हुआ हैI हम तो घर में ही कैद होकर रह गए हैI खाने-पीने,
नहाने -धोने के सिवाय बचा ही क्या हैI हमारी तो दिनचर्या ही बदल गई हैI इस कोरोना
के बारे में सुन सुन के पक गए हैंI दिमाग ने तो जैसे काम करना ही बंद कर दिया हैI
उन्होंने कहा - बिटवा! मुसीबतों से घबराना नहीं चाहिएI उनका सामना करना चाहिए I किसी
ने सच ही कहा है कि जो होता है अच्छा होता है I
अब इस कोरोना
का अच्छा क्या है? मैंने विद्रोही अंदाज में कहाI
उन्होंने समझाते हुए कहा देखो- बिटवा! सामान्य
दिनों में हमें यही सुनने को मिलता था कि भगवान का दिया सब कुछ है लेकिन टाइम नहीं
हैI काम इतना है कि समय ही नहीं हैIअब समय है लेकिन काम नहींI काम के महत्व का पता
चला सभी कोI
सब पास रहते
हुए भी दूर थेI बहुत से लोग तो ऐसे हैं जो सुबह बच्चों को सोते हुए छोड़ कर जाते
थे और इतनी लेट आते थे कि बच्चे सोए हुए ही मिलते थेI सारे परिवार को एक साथ समय
बिताने का मौका मिला हैI
पहले जिस गंगा और यमुना नदी को साफ करने के लिए
करोड़ों रुपए खर्च कर दिए लेकिन साफ नहीं कर सके उसे कोरोना ने साफ
कर दियाI जिस वायु प्रदूषण को रोकने या कम करने में एनजीटी व सरकारों के हाथ पांव
फूले हुए थे, कोरोनावायरस ने एक झटके में वायु प्रदूषण खत्म कर दियाI ध्वनि
प्रदूषण से भी मुक्ति मिल गईI
मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर जो कभी नहीं सोते
थे और रात दिन भागम-भाग का आलम थाI वहां आज सब कुछ शांत हैI केवल पक्षियों के चहचहाने
की आवाज सुनाई देती हैI
मैंने कहा अंकल! वह सब तो ठीक है,पर लोगों को
जान माल का नुकसान उठाना पड़ रहा है नाI अबकी बार सहमति जताते हुए उन्होंने कहा- बिटवा! यह बात तो सही है,पर इसके लिए
जिम्मेदार तो हमारी लापरवाही ही है नाI जब हम सब घर पर रहेंगे, तो खुद चलकर थोड़े
ना आएगा कोरोनावायरस हमारे घर परI
एक तरफ कोरोना
जान ले रहा है तो दूसरी तरफ बचा भी तो रहा हैI सड़क दुर्घटनाओं में जाने वाली जान अब
न के बराबर हैI चोरी, डकैती, लूट और बलात्कार जैसी घटनाएं अब ना के बराबर हैI
अंकल! ये तो
मैंने सोचा ही नहीं थाI
चलो छोड़ो इसे.............
मैं आपको एक और अच्छी बात बताता हूंI वह यह कि हमारे प्रधानमंत्री के एक
आह्वान पर 130 करोड़ भारतीयों ने (सिर्फ कुछ सिरफिरों लोगों को छोड़कर) भारत की एकजुटता का
उदाहरण दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है और वह भी तीन बार लगातार- चाहे वह
स्वघोषित कर्फ्यू हो या ताली और
थाली बजाकर कोरोना योध्धाओं का सम्मान करना हो या फिर दीप जलानाI
हां..... सो तो है अंकल I
अरे बिटवा और
सुन जिस अमेरिका को सारी दुनिया आशा भरी नजरों से देखती थी आज वही अमेरिका अपने
नागरिकों की जान बचाने के लिए भारत की ओर मुंह ताक रहा है और दवाइयों की मांग कर रहा
हैI
भारत ने भी वसुधैव कुटुंबकम की परंपरा को कायम
रखते हुए मदद की हैI इसके अलावा और बहुत से देशों की भी मदद की हैI यह सब कोरोना
की वजह से ही तो हुआ है नाI
मैंने कहा -
पर अंकल..............
मैं समझता हूं बिटुआ, आपकी भावनाओं को...सैमअंकल
ने समझाते हुए कहा - मुसीबत में भी निराश नहीं होते I उसमें छुपी अच्छाई ढूंढना
चाहिएI जब सारी दुनिया एकजुट होकर इस कोरोना से लड़ रही है, तो इस अदने से वायरस
की क्या मजाल? यह भी घुटने टेक ही देगाI बस सरकारी निर्देशों का पालन करोI घर में
रहो I अपनों से भावनात्मक रूप से जुड़े रहोI इससे ताकत मिलती हैI
ठीक है अंकल, मैं ध्यान रखूंगाI
ओके बेटा- खुश रहो !
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