एक आदर्श शिक्षक (An Ideal Teacher)



एक आदर्श शिक्षक के गुण 



 जब कभी भी एक आदर्श शिक्षक की बात होती है,  तो अनायास ही हमारी आंखों के सामने एक ऐसे व्यक्ति की छवि उभर कर आती है, जो चरित्रवान, विद्वान, मधुर भाषी, प्रभावशाली वक्ता, हंसमुख, एक अच्छा सलाहकार, संस्कारवान, कर्तव्यनिष्ठ, मनोविज्ञान एवं शिक्षण विधियों का जानकार हो और वह हमेशा पठन-पाठन में रुचि रखता हूंI जो अपने विद्यार्थियों की भलाई के और उनके मार्गदर्शन के लिए हमेशा तत्पर होI
 लेकिन जब इन्हीं कसौटीयों  पर कसते हुए हम एक आदर्श अध्यापक की तलाश करते हैं, तो ज्ञात होता है कि ऐसे अध्यापक तो कोई विरले ही हैंI जब इस पवित्र व्यवसाय में हम आ ही गए, तो सारे न सही जितना बन सके उतने गुण ग्रहण करने की कोशिश तो हमें करनी ही चाहिएI किसी ने सच ही कहा है-

            मंजिल मिले ना मिले यह वक्त की बात है,

हम कोशिश ही ना करें, यह तो गलत बात हैII

 जो समाज, अपने कलेजे के टुकड़ों का जीवन सफल बनाने के लिए हम अध्यापकों पर भरोसा करके हमारे पास भेजता है और हम यानी अध्यापक उनके भरोसे को कायम न रख सकेI तो फिर हम इस व्यवसाय के लायक नहीं हैI इस पर वह समाज पर एक बोझ हैI समाज एक शिक्षक से बहुत अधिक अपेक्षा रखता हैI जब शिक्षकों ने इन अपेक्षाओं की अनदेखी की तभी अध्यापक का सम्मान समाज में कम हुआ हैI बच्चे गीली मिट्टी की तरह होते हैं, उनको शिक्षक जैसे चाहे वैसे ढाल सकते हैं I अगर अध्यापक में गुण हैं, तो बच्चे उसका सम्मान करते हैंI कहावत भी है-

             चरण उसी के पूजे जाते हैं, जिसका आचरण अच्छा होI

 मेरे विचार से एक आदर्श अध्यापक में निम्न गुणों का होना अति आवश्यक हैI
·         चरित्र : एक अध्यापक का चरित्रवान होना अति आवश्यक हैI जिसमें यह गुण नहीं हैI वह इस व्यवसाय के लिए अयोग्य व्यक्ति हैI
·          विषय ज्ञान:  अगर अध्यापक को अपने विषय का ही ज्ञान नहीं है, तो अन्य गुणों का कोई महत्व नहीं रह जाता हैI
·          प्रशिक्षित:  किसी विषय का ज्ञान होना और उसके ज्ञान को बच्चों तक पहुंचाना इन में अंतर हैI अगर किसी व्यक्ति को किसी विषय विशेष का उच्च दर्जे का ज्ञान हैI लेकिन वह इस बात की गारंटी नहीं है कि वह इस ज्ञान को दूसरों तक आसानी से संप्रेषित करने में भी सक्षम होI इसलिए इसको इस विद्या में पारंगत होने के लिए शिक्षण विधियों एवं  मनोविज्ञान की समझ होना भी अति आवश्यक हैI
·          कर्तव्यनिष्ठ:  अगर एक अध्यापक बहुत विद्वान है, लेकिन वह अपने पेशे के प्रति गंभीर नहीं है, तो उसके इस ज्ञान का बच्चों को कोई फायदा नहीं हैI इसके विपरीत एक अध्यापक ने न्यूनतम अहर्ता ही प्राप्त की है, परंतु वह गंभीरता के साथ शिक्षण कार्य करवाता है, तो यह अध्यापक उस विद्वान (उच्च उपाधि धारक) से बेहतर हैI
·          प्रेरक:  एक अध्यापक उपरोक्त सभी योग्यताएं रखता है लेकिन वह बच्चों को प्रेरित करने में सक्षम नहीं है तो भी, कामयाब अध्यापक नहीं माना जा सकता I एक आदर्श अध्यापक में विद्यार्थियों को प्रेरित करने का गुण अवश्य होना चाहिएI
·           प्रखर वक्ता : अगर अध्यापक में एक प्रभावशाली वक्ता के गुण भी हो तो यह सोने पर सुहागा जैसी बात होगीI
·          धैर्यवान व हंसमुख : बहुत से अध्यापकों में एक आदर्श अध्यापक के अनेक गुण तो होते है लेकिन उनकी एक समस्या यह होती है कि वह बहुत जल्द गुस्सा हो जाते हैंI जल्दी हि  उनका धैर्य जवाब दे जाता है, और यह तो आप सब जानते ही हैं कि गुस्से में जो भी हम करते हैंI उसके सही होने की संभावना काफी कम होती हैI अतः एक अध्यापक का धैर्यवान एवं हंसमुख होना अति आवश्यक है ताकि बच्चे यानी विद्यार्थी बेझिझक अपनी समस्या अध्यापक को बता सकेंI
·          संबंध: एक आदर्श अध्यापक से ,हमेशा अपेक्षा की जाती है कि वह अपने सहकर्मियों, अपने मुखिया,  विद्यार्थियों  व उनके अभिभावकों से सहयोगात्मक रवैया  अपनाए व मधुर संबंध रखे I
·         कथनी एवं करनी एक हो : सबसे जरूरी बात जो एक अध्यापक में होनी ही चाहिए वह यह है कि उसकी कथनी एवं करनी में अंतर नहीं होना चाहिए I जिसमें यह गुण नहीं है तो तो उसमें उपरोक्त गुणों में से भी ज्यादातर गुण केवल दिखाओ मात्र ही होंगेI  उसके आचार और विचार में समानता होनी चाहिएI
·          एक अध्यापक की वेशभूषा भी उसकी गरिमा के अनुकूल होनी चाहिए I
जिस दिन हमारे देश के अधिकतर अध्यापकों में यह गुण ग्रहण करने की लालसा पैदा हो जाएगी उस दिन से भारत पुनः विश्व गुरु बनने की राह पर होगाI
 धन्यवादi

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