देशभक्ति लोकगीत ( Deshbhakti Lokgeet )
देशभक्ति लोकगीत
तर्ज: मैं तेरी नचाई नाचू सूं
देश धर्म ते बढके सजनो, होती कोई
बात नहीं
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई
ऐसी वैसी बात नहीं,
सब नै बेरा भारत मां दुनिया की गुरु रही से,
जीरो
दिया इसी भारत ने, तो गिनती शुरू हुई स,
देश-विदेश से आते पढ़ने आते, हुई ज्योतिष की शुरुआत यहीं,
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई ऐसी वैसी बात नहीं,
हिंदू –मुस्लिम, सिख- ईसाई, रहते सब भारत मै,
वक्त
पड़े सब एक है सारे, देखो जब भारत में,
थी लड़ी लड़ाई आजादी की, पीछे हटने की बात नहीं,
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई ऐसी वैसी बात नहीं,
देश धर्म को कर्म मान के, खेलें प्यार की होली,
रैन- दिवस तैनात रहें यहाँ, जाबाजो की टोली,
हम चैन से सोते वो ना सोते, घबराने की बात नहीं
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई ऐसी वैसी बात नहीं,
आन बान पर मिटने वाले, अमर सदा रहवैं सें
इस माटी से खुशबू आवै हम इस पे फिदा रहवैं सें
अपने वतन पर मर मिटने की सबके बस की बात नहीं,
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई ऐसी वैसी बात नहीं
आन बान पर मिटने वाले, अमर सदा रहवैं सें
इस माटी से खुशबू आवै हम इस पे फिदा रहवैं सें
अपने वतन पर मर मिटने की सबके बस की बात नहीं,
मैं कतीं सच्चाई कह रहा सूं, कोई ऐसी वैसी बात नहीं
आभार: यह लोकगीत हमें श्री चमन लाल (हिंदी प्रवक्ता ) द्वारा प्रेषित किया गया हैI
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