डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (रागिनी) DR. Bheem Rao Ambedkar



डॉक्टर भीमराव अंबेडकर (रागिनी)


14 अप्रैल अठारह सौ इकानवे में अवतार हुआ,
 मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ ,
 भीमाबाई मात बणी तब पिता राम जी कहलाए,
 प्यारा सा सकपाल नाम था, बाद भीम जी कहलाए
             बालक था मेधावी फिर भी, अछूत जाति वो कहलाए,
 संस्कृत भाषा पढ़नि चाही पर, गुरु पास में ना बिठलाए,
कुंठित भीम ठानी मन मै, विदेश जाणने तैयार हुआ
मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ
 बड़ी रियासत बड़ौदा की, जिनसे इनको सहयोग मिला,
 चार साल तक आंगल देश मै, इन्हें पढ़ने का संयोग  मिला,
 कानून में पीएचडी के संग, अन्य विषयों का ज्ञान मिला
             तब जाकर कहीं भीमराव को, भारत में सम्मान मिला
ध्यान दिलाया अछूतों पर तो, इन सब का उद्धार हुआ,
मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ
 हुआ देश आजाद तो इनको, मंत्री कानून बनाया था,
 संविधान सभा में प्रारूप समिति का  प्रधान बनाया था,
 दूर किया सब भेदभाव, ऐसा संविधान बनाया था
 14 अक्तूबर 56 को फिर बोध धरम अपनाया था,
 6 दिसंबर सन 56 को फिर त्याग उसने  संसार दिया,
 मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ
             शिक्षित बनो, रहो संगठित संघर्ष की बात बताई थी,
 दो ध्यान बात का मनन करो  या मर्म की बात बताई थी
 संगठन और संघर्ष बिना कदे होती ना सुणवाई थी,
 बाबा के नतमस्तक होकर ‘चमन’ ने कथा बनाई थी ,
 प्रेरणा स्रोत बने लोगों के, यह दुनिया में प्रचार हुआ,
मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ
14 अप्रैल अठारह सौ इकानवे में अवतार हुआ,
 मध्यप्रदेश के महू गांव में एक महार नाम परिवार हुआ ,


आभार : यह रागिनी श्री चमन लाल ( हिंदी  प्रवक्ता)  द्वारा हमें भेजी गई है I 

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