SPEECH -समाज में कैसे आचरण करें? How should we behave in society?
इस दुनिया में हर
व्यक्ति चाहे वो बच्चा हो, बूढा हो या हो जवान, मजदूर हो या हो किसान, कर्मचारी हो या हो अधिकारी, हर
कोई ये चाहता है कि लोग उसका सम्मान करें,उसकी तारीफ करेंI कोई मुझसे ये पूछे कि
क्या ये संभव है? तो मेरा जवाब होगा – हाँ, या संभव हैI बस हमें अपने आप में कुछ
बदलाव करना होगा I दुसरे अपने आप बदल जायेंगे I इसकी सम्भावना 90% हैं I 10% लोग
कुत्ते कि पूंछ कि तरह व्यहार करतें हैं,चाहे कुछ भी हो जाये वो नहीं बदलने वाले I
व्यवहार में दो चीजें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, वे है वाणी और कर्म I पहले हम
बात करतें हैं वाणी कीI
हमारी वाणी
ही एक ऐसी चीज है जिसकी वजह से व्यक्ति या तो दिल में उतर जाता है या फिर दिल से
उतर जात्ता है I
अगर हमें दिल में
जगह बनानी है तो हमें शब्दों पर नियंत्रण करना हि होगा Iहम un शब्दों का प्रयोग न
करें जिससे दूसरों के आत्म सम्मान को ठेस पहुंचे I लेकिन इसका तात्पर्य ये कदापि
नहीं है कि हम दूसरों को खुस करने के लिए झूठ का सहारा लें Iएगर ऐसा करने लगे तो
अपेक्षा के विपरीत हमें सम्मान कि जगह त्रिस्कार
मिलने लगेगा I
किसी ने सच
ही कहा है कि –
कडक शब्दों में हलकी बात कहने कि बजाय, नरम
शब्दों में ठोस बात कहेंI
अगर हम ऐसा ख्याल
रखेंगे तो हमारी बात को सुना भी जायगा और उसे महत्व भी दिया जायगा और इन दोनों में
ही सम्मान और प्रशंसा छुपी हुई है I
आप सभी इस बात को तो मानते हैं ना कि संग्गेत को हर कोई
पसंद करता है I संगीत को सुनकर हर किसी का मन प्रसन्न हो जाता है लेकिन हमेशा ऐसा
नहीं होता I सोचिये अगर हम किसी ऐसे स्थान पर बैठे हैं जहाँ
किसी कि मौत हो गई है, तभी अचानक किसी का फोन आता है और कॉलर ट्यून में कोई
मधुर गीत बजने लगता हैI उस वक्त वह गाना या संगीत
किसी को भी अच्छा नहीं लगता बल्कि बुरा लगता हैI ठीक इसी प्रकार गलत समय व जगह पर कही गई अच्छी व सच्ची बात भी अच्छी नहीं लगती I
इसलिए
यह ध्यान रखना चाहिय कि –
कोंनसी
बात कब और कहाँ कही जाती है, गर ये सलीका हो तो हर बात सुनी जाती है I
गौर सेदेखने कि
जरूरत है, इस प्रकृति ने हमें सब कुछ दिया हैI अब देखिये ना कुदरत ने हमारा शारीर
कितना सुंदर बनाया है I शारीर के हर अंग को उसके कार्य के अनुसार बनाया है जिस
अंग्से कटर कार्य करने the उन्हें कठोर और जिन्हें कोमलता से प्रयोग करना था उनको
कोमल I कुदरत ने हमरी जीभ में कोई हड्डी नही दी, जानते हैं क्यों ?
क्योंकि कुदरत को ना
पसंद थी सख्ती ब्यान में, इसीलिये तो दी नहीं हड्डी जुबांन में I
अतःहमें अपनी वाणी
को मधुर बनाना चाहिए व संयम से इसको प्रयोग करना चाहिए तभी हम सम्मान पा सकतें हैं
I
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